Monday, 13 February 2012

परमारथ पथ के दश अलोक

 परमारथ पथ के दश अलोक :-
१.परमात्मा एक  शक्ति हैं न उसका कोई नाम हैं न रूप हैं जिसने जो नाम रख लिया वही  ठीक हैं / 
२. उसको पाने के लिए ग्रहस्थी त्याग कर जंगल में भटकने की आवश्यकता नहीं वह घर में रहकर भी प्राप्त की जा सकती हैं. 
३. अभी तुमने इशवर देखा  नहीं हैं इसलिए उसे प्राप्त करने के लिए पहले उससे मिलो जिसने  परमात्मा को  देखा  है वही तुम्हे उसका का दर्शन  करा सकता हैं /
४.अपने जीवन में आन्तरिक प्रसंता लाओ  यह बहुत बड़ा ईश्वरीय  गुण हैं/
५. ज्ञान में शांति हैं वह तुम्हे बाहर   से नहीं मिलेगी ज्ञान अंत में हैं उसके लिए आन्तरिक साधन करने होंगे /
६. अधिक  समय संसार के कामो  में लगाओ थोडा समय इश्वर  को दो लकिन उस समय के लिए तुम संसार को भूल जाओ/
७. दो कम साधक के लिए अवश्यक हैं एक तो परिश्रम से भोजन कमाना दूसरा अपने मन को हर समय काम  में लगाये रखना / 
८.ज्ञान  अनंत हैं यदि उसे एक गुरु न पूरा कर सके ! तो उसे दुसरे  गुरु से प्राप्त करना चाहिए परन्तु पूरण ज्ञानी  गुरु मिल जाने पर दूसरा गुरु नहीं करना चाहिए /
९. दुनिया   के सारे  काम करो लेकिन सेवक  बनकर मालिक बनकर नहीं /
१०. संसार में महमान बनकर रहो यहाँ की हर वास्तु किसी और की समझो मैं और मेरा का पाठ छोड़कर तू और तेरा का पाठ सीखो.
                                              समर्थ गुरु परम संत  श्री डाक्टर  चतुर्भुज सहाय  जी महाराज 

९.