सुखी जीवन की कुंजी अध्यात्म
मनु समृती में कहा गया हैं -
"इन्द्रियों का निग्रह ,राग द्वेष पर विजय प्राप्त करना और प्राणी मात्र के प्रति अहिंसक रहने से साधक अमरत्व प्राप्त करता हैं /"
मनु समृति की ये दो पंक्तियाँ अध्यातम की और इशारा करती हैं /अध्यातम शब्द का संधि विच्छेद करने से बनता हैं आदि +आ +आत्म आत्मा का आदि , आत्मा का छोर या सिरा,आत्मा क्या हैं उसका स्वरूप क्या हैं यह जहाँ समझ में आया वही अध्यातम हैं /
'य:स्थापितः आत्मायाम स:'
धार्मिक प्रवचनों में व पठन -पाठन में दो शब्द अक्सर आया करते हैं श्रेय मार्ग और प्रेम मार्ग सहज सुलभ तथा मायावी चकाचोंध से भरा हैं जिसका अंतिम पड़ाव विवेकपूरण सुखदायी ,आनंददायी व शांतिदायी हैं /यह श्रेय मार्ग ही अध्यातमपथ हैं