Wednesday, 17 July 2013

आज का समाज

                                                                         आज का समाज

आज की भाग दौड़ भरी जिन्दगी में और  प्रतियोगिता से भरपूर जीवन ने आज मानव को अपनों से ही दूर नहीं किया बल्कि खुद ही से दूर हो गया / नए दौर का जीवन जिसने हमें सुख सुविधाएं ही नहीं दी / आर्थिक सम्पनता भी दी हैं / फिर हम क्यों धन के लालच में अपना ही नहीं बल्कि अपनो का भी भला नहीं कर रहे हैं / माँ बाप जिन्होंने हमें भरपूर प्रेम से पाला पोसा आज वही पराये लगने लगे / वो अकेले चुपचाप गुमसुम से अपने बच्चो की बात सुनने का इन्तजार करते रहते हैं / ये वाही माता पिता हैं / जिन्होंने अपने जीवन की सुखदायक घडियों की परवाह न करते हुए भी तुम को सब कुछ दिया ,पदाया लिखाया और एस काबिल बनाया की जो तुम्हारे पास हैं उसका श्रेय उन्ही को जाता हैं / फिर वही वक्त आयेगा जब तुम भी माँ बाप बनोगे /
फिर तुम…………

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